✍ डॉ. कुलदीप मेहंदीरत्ता एक प्राचीन राष्ट्र के रुप में भारत, विविध भाषाओं का अद्भुत सामाजिक मिश्रण है, जहाँ बड़े लंबे समय से भारत के समाज ने अपनी भाषाई विविधता…
✍ वासुदेव प्रजापति अध्ययन व अनुसंधान की देशव्यापी योजना बनाने से पूर्व हमें अनुभूति प्रमाण, धर्म प्रमाण और वेद प्रमाण पर पूरे देश में, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों में सर्वसम्मति…
✍ वासुदेव प्रजापति जब हम अध्ययन-अनुसंधान विषय पर विचार करते हैं तो सबसे पहला विचारणीय बिन्दु प्रमाण व्यवस्था ध्यान में आता है। क्योंकि अध्ययन-अनुसंधान के समस्त ज्ञान व्यापार हेतु प्रमाण…
✍ वासुदेव प्रजापति किसी भी देश के वैचारिक क्षेत्र में जब अनवस्था होती है तब उसके सामाजिक जीवन में अव्यवस्थाएँ फैलती हैं। समाज में चिन्तन-मनन एवं विचार करने वाले लोग…
✍ वासुदेव प्रजापति गत अध्याय में हमने सामाजिक समरसता निर्माण करने के विषय में जाना। सामाजिक समरसता के समान ही दूसरा महत्वपूर्ण विषय साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाना भी है। भारतीय समाज…
कई दशकों के संघर्ष और तमाम क्रांतिकारियों के साहस के परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को हम अपने देश के बड़े भू-भाग पर अपनी इच्छानुसार शासन और अन्य व्यवस्था को…